बच्चों को विद्यालय से बाहर करने की प्रबंधकों ने दी चेतावनी
पूर्वी तूफान डेस्क
बलिया: शहर क्षेत्र के 15 प्राथमिक विद्यालयों ने प्री-प्राइमरी (नर्सरी, एलकेजी, यूकेजी) कक्षाओं में आरटीई एक्ट 2009 के तहत अध्ययनरत बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति रोक देने और बच्चों की संख्या को “शून्य” दर्शाने के निर्णय पर कड़ी आपत्ति जताई है। विद्यालयों ने जिलाधिकारी को विस्तृत ज्ञापन देकर कहा है कि यह कार्रवाई न केवल नियमावली के विपरीत है, बल्कि राज्य व केंद्र सरकार द्वारा संचालित ECCE (Early Childhood Care & Education) तथा आरटीई 2009 की भावना के भी प्रतिकूल है। विद्यालय प्रबंधकों ने जिलाधिकारी से मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर न्यायसंगत आदेश जारी करने की मांग की है।
RTE के तहत 2018 से मिल रही थीं प्रतिपूर्ति—अचानक रोकी गई
प्रबंधकों ने ज्ञापन में उल्लेख किया है कि वर्ष 2018–19 से 2024–25 तक जिला स्तरीय समिति द्वारा RTE प्रवेश पत्र जारी किए जाते रहे और विद्यालयों के खातों में प्रति छात्र ₹4950 प्रतिपूर्ति अभिभावकों के खातों में प्रति छात्र ₹5000 पाठ्यक्रम एवं यूनिफॉर्म मद में नियमित रूप से भेजी जाती रही।
इस दौरान हर वर्ष जिला प्रशासन की तीन स्तरीय RTE समिति निरीक्षण करती रही और कहीं भी किसी प्रकार की आपत्ति नहीं दर्ज की गई।
मगर सत्र 2025–26 में खंड शिक्षा अधिकारी/नगर की ओर से अचानक दो पत्र जारी कर 15 विद्यालयों को प्री-प्राइमरी संचालन “अवैध” बताते हुए निधि वापसी, रिकवरी और कक्षाएँ बंद करने के निर्देश जारी कर दिए गए।
विद्यालयों का कहना है कि यह निर्णय “तथ्यों और नियमों की अनदेखी” करते हुए लिया गया है।
मान्यता Class-1 से होती है, पर प्री-प्राइमरी ECCE नीति के तहत वैध — विद्यालयों का तर्क
ज्ञापन में विद्यालयों ने स्पष्ट किया है कि:
यूपी में विद्यालय मान्यता कक्षा 1 से प्रारम्भ होती है (1–5 या 6–8 तक)प्री-प्राइमरी की अलग मान्यता देने का कोई प्रावधान राज्य सरकार ने आज तक जारी ही नहीं किया है।
RTE Act 2009 की Section 11 के अनुसार राज्य सरकार को 3–6 वर्ष के बच्चों हेतु ECCE सुविधा उपलब्ध करानी होती है
NEP 2020 के बाद प्री-प्राइमरी को “Foundational Stage” घोषित किया गया है
इसी नीति के तहत ECCE प्री-प्राइमरी को Non-Formal Education माना गया है, जिसे चलाने के लिए अलग मान्यता आवश्यक नहीं है
विद्यालयों का कहना है कि इन्हीं नियमों के आधार पर BSA कार्यालय हर वर्ष प्री-प्राइमरी हेतु प्रवेश पत्र जारी करता रहा है, और उन्हीं बच्चों का शुल्क प्रतिपूर्ति के रूप में भुगतान भी किया जाता रहा है। इसलिए इसे अचानक “अवैध” कहना प्रशासनिक त्रुटि है।
बिना पूर्व सूचना बच्चों की संख्या ‘शून्य’ दर्शा दी गई
विद्यालयों ने आरोप लगाया है कि BEO कार्यालय ने वित्तीय प्रतिपूर्ति हेतु बनाए गए मांग पत्र में
प्री-प्राइमरी कक्षा में अध्ययनरत RTE बच्चों की संख्या ‘0’ कर दी व फीस प्रतिपूर्ति के कॉलम में भी ‘0’ दर्ज कर दिया।
विद्यालयों ने कहा कि यह कार्रवाई सीधे-सीधे बच्चों के अधिकारों के विरुद्ध है, क्योंकि RTE सीट पर पहले से प्रवेशित बच्चे सरकार की मंजूरी से ही पढ़ रहे हैं।
"बच्चों को विद्यालय से बाहर करना पड़ेगा” — प्रबंधकों की चेतावनी
ज्ञापन में प्रबंधकों ने कहा है कि यदि इस शैक्षिक सत्र (2025–26) की फीस प्रतिपूर्ति जारी नहीं की गई तो
विद्यालय आर्थिक संकट के कारण RTE बच्चों की शिक्षण व्यवस्था जारी रखने में असमर्थ होंगे
और उन्हें प्री-प्राइमरी कक्षाओं से बच्चों को बाहर करने की मजबूरी पैदा हो जाएगी।
विद्यालयों ने इसे सरकार की महत्वाकांक्षी योजना RTE + ECCE को समाप्त करने जैसा कदम बताया है।
जिलाधिकारी से त्वरित आदेश की मांग
विद्यालयों ने जिलाधिकारी को शिक्षा निदेशक (बेसिक) लखनऊ द्वारा दिनांक 23 सितंबर 2025 को जारी पत्र, जिसमें स्पष्ट है कि प्री-प्राइमरी की अलग मान्यता हेतु कोई नियमावली प्रचलित नहीं है को संलग्न कर विद्यालयों ने मांग की है कि “RTE और ECCE नियमावली के अनुरूप प्री-प्राइमरी विद्यार्थियों की फीस प्रतिपूर्ति तत्काल बहाल की जाए और भविष्य हेतु स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएँ।”
उक्त प्रकरण पर कार्रवाई करते हुए जिलाधिकारी बलिया द्वारा बेसिक शिक्षा अधिकारी, बलिया को आवश्यक अभिलेखों सहित जिलाधिकारी के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश जारी किया गया है।