रामगढ़ में माँ दुर्गा पूजा महोत्सव का आलोक – आस्था, सौहार्द और उत्सव का संगम
रिपोर्ट- बसंत कुमार सिन्हा

बलिया रामगढ़ की धरती इन दिनों माँ दुर्गा के जयघोष से गूंज रही है। शारदीय नवरात्र की पावन बेला में जब घर-घर दीप सजते हैं, तब पूरे नगर का वातावरण एक दिव्य आलोक से भर जाता है। माँ दुर्गा की आस्था में रचे- बसे श्रद्धालु विभिन्न समितियों के पंडालों में उमड़ रहे हैं। कहीं कलात्मक प्रतिमाओं की छटा मन मोह रही है तो कहीं आरती व भजन संध्या में भक्त भावविभोर हो रहे हैं। इस वर्ष तीन प्रमुख समितियों ने अपनी-अपनी विशिष्ट पहचान से उत्सव को और भी ऐतिहासिक बना दिया है।

बहादुर बाबा दुर्गा पूजा समिति (सब्ज़ी मंडी) – 13 वर्ष की भक्ति-यात्रा

सब्ज़ी मंडी स्थित बहादुर बाबा दुर्गा पूजा समिति ने अपने 13वें वर्ष का पड़ाव पार कर लिया है। यह यात्रा केवल वर्षों की गिनती नहीं, बल्कि माँ दुर्गा की अनुकम्पा और भक्तों की अटूट आस्था का परिणाम है। पंडाल में भव्य सजावट और नयनाभिराम प्रतिमा दर्शन मात्र से श्रद्धालु हृदय पुलकित हो उठते हैं। पूजा-अर्चना और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला ने यहाँ के वातावरण को और भी पावन बना दिया है। समिति से जुड़े श्रद्धालु बताते हैं कि हर वर्ष भक्तों की बढ़ती भीड़ इस आयोजन की सफलता और महत्व को और गहरा करती है।

माँ दुर्गा पूजा समिति, रामगढ़ ढाला – 25वें वर्ष का रजत जयंती पर्व

सन 2001 में शुरू हुई यह समिति आज अपने 25वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। यह रजत जयंती वर्ष पूरे क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है। समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश यादव उर्फ़ लोहा यादव का कहना है कि यह पूजा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है
यहाँ दोनों समुदायों के लोग मिलकर प्रतिमा स्थापना से लेकर भजन, आरती, सांस्कृतिक मंचन और प्रसाद वितरण तक हर कार्य में हाथ बँटाते हैं। यह दृश्य सामाजिक समरसता का ऐसा उदाहरण है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी एकता का संदेश देता रहेगा। इस बार रजत जयंती को और भी खास बनाने के लिए समिति द्वारा विशेष झांकियाँ, रोशनी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भव्य तैयारियाँ की गई हैं।

बाबा भीमेश्वर नाथ दुर्गा पूजा समिति – 15 वर्षों से रावण दहन परंपरा जीवित

रामगढ़ का एक और आकर्षण है बाबा भीमेश्वर नाथ दुर्गा पूजा समिति, जिसने इस बार 15 वर्ष पूर्ण किए हैं। समिति के अध्यक्ष दिनेश चौहान ने बताया कि विजयादशमी के दिन यहाँ का रावण दहन कार्यक्रम पूरे क्षेत्र का मुख्य आकर्षण बन जाता है।
हजारों की भीड़ जब माँ दुर्गा की प्रतिमा के दर्शन के साथ रावण वध का दृश्य देखती है, तो ऐसा प्रतीत होता है मानो सत्य की विजय और असत्य के पतन का शाश्वत संदेश यहीं से प्रसारित हो रहा हो। महिलाएँ, पुरुष और बच्चे – सभी मिलकर इस आयोजन को सफल बनाते हैं। हर वर्ष रावण दहन का यह कार्यक्रम मनोरंजन के साथ-साथ समाज को धर्म, नीति और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

 आस्था और एकता की त्रिवेणी

रामगढ़ के विभिन्न दुर्गा पूजा पंडाल केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समाजिक और सांस्कृतिक समरसता के सशक्त केंद्र बन चुके हैं। एक ओर जहाँ माँ दुर्गा की उपासना से जन-जन में भक्ति भाव उमड़ता है, वहीं दूसरी ओर सामूहिक सहयोग और सौहार्द से यह संदेश प्रसारित होता है कि धर्म केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक सद्भाव और मानवता की सेवा ही सच्ची भक्ति है।
नवरात्र की यह भक्ति धारा रामगढ़ में इस प्रकार बह रही है कि हर कोई माँ दुर्गा की महिमा का गान करता हुआ विजयदशमी की मंगल बेला की प्रतीक्षा कर रहा है।

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